Friday, August 25, 2023

असली चेहरा

चेहरों की असलियत का ऐसा, पर्दाफाश  कर दिया।

शरीफों  को  भी इस दुनिया ने,  बदमाश कर दिया।


हर  बार आंखों  देखा  ही,  सच  होता  नहीं  हुजूर,

लोगों  ने  रंग  बदलकर,  पक्का  विश्वास कर दिया।


वही अब पूछते हैं, हमारे  लिए  किया ही तुमने क्या!

जिन  बच्चों  के  लिए एक धरती-आकाश कर दिया।


रिश्तों  को  ख़ुदगर्जी   के  तराजू  पे वैसे  न तौलिए,

मां  कैकेई  ने जैसे पुत्र राम  को वनवास कर  दिया ।


गुरबत थी  फिर  भी  पीढ़ियां,  रहती  थीं साथ-साथ,

तरक्की  ने बेटे का बाप से, अलग आवास कर दिया।


हर  किसी को ज़माने में, खुश रख पाया भला  कौन! 

आख़िर  किस  कुंए  ने  दूर,  सबकी प्यास कर दिया ।


अहमियत  नहीं   कोई  थी ,  इस  'नादान' ‌ की  यहां  ,

मालिक के करम ने इसे,  मामूली से ख़ास कर दिया।

रमेश पाण्डेय 'नादान'

Saturday, March 27, 2010

todays fast runninng life

Dear friends, what do u think about the life of this era?? Is this soothing , enjoyful, charming or on the other hand stressful, boring and highly competitive? Are we living real life?? your views and opinions are most welcomed.